Friday 2 March 2018

बदलता नज़रिया IV

नीरज जी ने आज बहुत मन से, मोनू का मेकअप किया था। मोनू ने गरिमा के फेवरेट लाल रंग की साड़ी पहनी थी। ब्लाउज, पेटीकोट, ब्रा और पैन्टी, सब मैचिंग लाल रंग के थे। लाल नलपौलिश और लिपस्टिक से उसका गोरा रंग और भी निखर गया था। नीरज ने साफ इन्स्ट्रक्शन भी दिये थे। "घर का दरवाजा खोलते ही अपना माथा, उनके पैरों में रखना है और सिन्दूर की डिब्बी, उनको दे कर अपनी माँग भरवानी है। जब वो माँग भर दें तब एक बार फिर, पैर छू कर आशीर्वाद लेना है।" "इसके बाद क्या करना है भैया?" मोनू ने पूछा था। नीरज जी हँस पड़े थे," इसके बाद तुम्हें कुछ नहीं करना। फिर तो जो करना है, वो ही करेंगी।"

गरिमा के लिए दरवाजा खोल कर, मोनू जैसे ही उनके पैरों में झुका, गरिमा ने उसको उठा कर अपनी बाँहों मे भर लिया। मोनू के लाख विनती करने पर भी, गरिमा ने उसकी माँग भरने की जगह उसकी साड़ी खींचनी शुरू कर दी। बमुश्किल ही मोनू ने दरवाजे को लौक किया लेकिन तब तक वो साड़ी, जिसे बाँधने मे उसे और नीरज जी को पौना घंटा लगा था, उसके बदन से उतर चुकी थी। उसकी माँग भरते ही, गरिमा ने ब्लाउज के बटन से खेलना शुरू कर दिया। ब्लाउज उतरते ही, मोनू के नये नवेले यौवन कपोत, ब्रा से बाहर निकलने को मचलने लगे। गरिमा आज पहली बार मोनू को इस रूप में देख रही थी और उसकी उत्तेजना का कोई ठिकाना नहीं था। उसने दोनों स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही मसल दिया। मोनू के होटों से सिसकारी निकली जिससे गरिमा की उत्तेजना और भी बढ़ गई। गरिमा ने मोनू को अपनी बाँहों मे लिया और उसके हाथ, मोनू की कमर पर लगे ब्रा के हुक से उलझ गए।

ब्रा के हटते ही, गरिमा तो जैसे पागल सी हो गई। उसने बड़ी बेदर्दी से मोनू के ब्रैस्ट्स को मसलना शुरू कर दिया। मोनू दर्द से कराह रहा था और गरिमा को रोकना भी चाहता था लेकिन बैबुटौक्स लगने के बाद, उसके शरीर में ताकत बहुत कम हो गई थी और वास्तव में तो, उसे इस दर्द में भी अजीब सा मज़ा आ रहा था। थोड़ी देर में ही, गरिमा ने उसके पेटीकोट और पैंटी भी उतार फेंके और पूरी ताकत से, उसे अपनी बाँहों मे भींच लिया।
मोनू इस समय बिल्कुल नग्न अवस्था में था लेकिन गरिमा के शरीर पर से एक कपड़ा भी नहीं हटा था। गरिमा ने भी जल्दी जल्दी,अपनी पैंट और अन्डरवीयर उतारे और बेकरारी से मोनू के ऊपर सवारी करने लगी। कमरे का मौसम मोनू की सिसकारियों से और भी गरम होता जा रहा था। जल्दी ही, गरिमा का उन्माद, अपनी चरमसीमा पर पहुंच गया। उसने अंतिम क्षणों में मोनू को भी रिलीज होने की परमिशन दे दी और दोनों एक साथ, मादकता के अंतिम पड़ाव पर पहुँचे।

To be continued

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